>कनफ़्यूशियस् – शिक्षक,संत और सुधारक

>५५१ bc में जन्मे कनफ़्यूशियस् कि ख्याति मरने के बाद फैलती गई और आज चीन कि जनता के वे मसीहा हैं। बुद्ध कि तरह उनका भी देवी-देवता पेर विश्वाश नहीं था। आज उनके नम पर हजारों मंदिर हैं। चीन में बेताज बादशाह कुंग के रूप मी ख्यात कनफ़्यूशियस् का प्रभाव कोरिया,जापान, विअतनाम तक है।
चीन के धनी परिवार मे जन्मे कनफ़्यूशियस् का नाम चीऊ यानी पहाड़ी था। उनके सिर पर एक गूमड होने के कारण यह नाम पड़ा। वे बहुत लंबे थे। कनफ़्यूशियस् के समय चीन मे राजवाडे आपसी कलह मे लगे थे । तब उन्होने शिक्षा कि अलख जगाई। २५ साल कि उमर में शिक्षक का कम शुरू करने वाले कनफ़्यूशियस् ने आगे ३००० शिष्य बनाए ।
भेदभाव के विरोधी कनफ़्यूशियस् ने शिक्षा मंत्री के रुप में १३ साल तक यायावरी की। इस बीच उनका पठन-पाठन बंद था। अपनी शिक्षाओं के प्रकाशन मे उनकी रूचि नही थी। उनके शिष्यों ने आगे उनकी दस के करीब किताबें प्रकाशित कीं। कबीर के दोहों की तरह उनके कथन भी चीन में चर्चित हैं।

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